कहानी संग्रह >> आदवन की कहानियाँ आदवन की कहानियाँइन्दिरा पार्थसारथी
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तमिल के प्रसिद्ध कथाकार आदवन की बारह तमिल कथाओं का हिन्दी अनुवाद है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
आदवन की कहानियाँ तमिल के प्रसिद्ध कथाकार आदवन की बारह तमिल कथाओं का हिन्दी अनुवाद हैं। इन कहानियों में महानगरों में बसे लोगों की समाजिक विसंगतियां, अपने आपसे परायापन और अपरिचयबोध की स्थितियों के कारण उनकी मानसिक परेशानियां, अपने चेहरे की तलाश में भटकती नयी पीढ़ी के जीवन की विडंबनाएँ, मानवीय अस्मिता की खोज, अस्तित्वबोध के अनुशीलन, युग यथार्थ के साथ यौन समस्याओं के विविध पहलू, यौन संबंधी उलझनें, समाज और व्यक्ति की आन्तरिक समस्याओं के समन्वय... आदि-आदि तत्व मुखर होकर आए हैं। इन्हीं सारी बातों को ध्यान में रखकर कथाकार ने अपने सृजन में पात्रों के अंतर्मन की अंतर्मुखी यात्रा के फलस्वरूप सामने आए मूल्यों के आधार पर बाह्य जगत की घटनाओं का विवेचन इन कहानियों का मूल लक्ष्य है।
कथाकार ( मूल नाम :के. एस.सुन्दरम) आदवन ( 1942-1987) तमिल भाषा के उन श्रेष्ठ कथाकारों में से हैं जिन्होंने तमिल कहानियों की नूतन धारा में अपना प्रभूत योगदान दिया। नेशनल बुक ट्रस्ट में तमिल भाषा के सहायक संपादक पद पर कार्य करते हुए इनका देहान्त एक दुर्घटना में हुआ। अपने अल्पजीवन काल मं इन्होंने जितनी गुणवत्ता के साथ अपने भाषा साहित्य को समृद्ध किया, वह प्रशंसनीय है। सन् 1987 में मृत्युपरांत इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। किसी भी तरह के पुरस्कार की परिसीमा से उन्नत कथाकार आदवन की प्रमुख कृतियाँ हैं : काकिता मलारगल, इलकिया सिंदनै, एन पेयर रामशेषण, इरवुक्कु मुन्बु मालै आदि।
अनुवादिका इन्दिरा पार्थसारथी तमिल से हिन्दी में अनुवाद कार्य हेतु निपुण हैं। अनुवाद कला में इन्होंने एक मिसाल कायम की है। इन कहानियों में महानगरों में रहने वाले लोगों की समाजिक एवं सांस्कृतिक विसंगतियों का मार्मिक चित्रण किया गया है।
कथाकार ( मूल नाम :के. एस.सुन्दरम) आदवन ( 1942-1987) तमिल भाषा के उन श्रेष्ठ कथाकारों में से हैं जिन्होंने तमिल कहानियों की नूतन धारा में अपना प्रभूत योगदान दिया। नेशनल बुक ट्रस्ट में तमिल भाषा के सहायक संपादक पद पर कार्य करते हुए इनका देहान्त एक दुर्घटना में हुआ। अपने अल्पजीवन काल मं इन्होंने जितनी गुणवत्ता के साथ अपने भाषा साहित्य को समृद्ध किया, वह प्रशंसनीय है। सन् 1987 में मृत्युपरांत इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। किसी भी तरह के पुरस्कार की परिसीमा से उन्नत कथाकार आदवन की प्रमुख कृतियाँ हैं : काकिता मलारगल, इलकिया सिंदनै, एन पेयर रामशेषण, इरवुक्कु मुन्बु मालै आदि।
अनुवादिका इन्दिरा पार्थसारथी तमिल से हिन्दी में अनुवाद कार्य हेतु निपुण हैं। अनुवाद कला में इन्होंने एक मिसाल कायम की है। इन कहानियों में महानगरों में रहने वाले लोगों की समाजिक एवं सांस्कृतिक विसंगतियों का मार्मिक चित्रण किया गया है।
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